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क्या है सेंट्रल विस्टा (Central Vista) ....जानिए नए संसद भवन (New Indian Parliament Building ) के परियोजना तथा लगत के बारे में बारे में....

 


CENTRAL VISTA REDEVELOPEMNT PLAN - सेंट्रल विस्टा जीर्णोद्धार परियोजना भारत सरकार द्वारा प्रायोजित, राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच 3 किमी लंबे राजपथ के किनारे स्थित भारत की राजधानी नई दिल्ली के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र, जिसे "सेंट्रल विस्टा" कहा जाता है, को पुनर्जीवित करने के लिए चल रही पुनर्विकास परियोजना है

इसमें मौजूदा कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा तो कुछ को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाएगा, कुछ को रिनोवेट किया जाएगा तो कुछ को गिराकर उनकी जगह नई इमारतें बनाई जाएंगी।

इन इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा: राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल, हैदराबाद हाउस, रेल भवन, वायु भवन रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं हैं।

ये इमारतें नई सिरे से बनेंगी: इस प्रोजेक्ट में संसद की नई बिल्डिंग बनेगी, प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति ने नए आवास बनेंगे। नया सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनेगा जिसमें सरकार के सभी मंत्रालय और उनके ऑफिस शिफ्ट होंगे।


1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट करने का ऐलान किया।इसकेलिए जरुरी इमारते विनिर्माण का काम एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया था।
  इन दोनों ने ही सेंट्रल विस्टा को डिजाइन किया था 

    लुटियंस और बेकर ने उस वक्त गवर्नमेंट हाउस (जो अब राष्ट्रपति भवन है), इंडिया गेट,  काउंसिल हाउस (जो अब संसद है), नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और किंग जॉर्ज स्टैचू (जिसे बाद में वॉर मेमोरियल बनाया गया) का निर्माण किया। सेंट्रल विस्टा परिसर के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उपराष्ट्रपति का घर, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल, बीकानेर हाउस आते हैं।

शुरुआत में ही राजपथ के दोनों ओर प्रशासकीय कार्यालय (Administrative Offices ) बनाने की योजना थी  लेकिन ये आजादी के वक्त तक निर्मित न हो  सके थे। देश आजाद हुआ तो सेंट्रल विस्टा का अधूरा मॉडल मिला। आजादी के बाद सेंट्रल विस्टा क्षेत्र के दोनों ओर कई नई इमारतें बन चुकी थी जैसे की उद्योग भवन, वायु भवन,  रेल भवन, कृषि भवन । इसी तरह अलग-अलग मंत्रालयों ने भी वक्त और जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग इमारतें बनाईं।

इसमें मुख्यत:आगे दिए हुए नवनिर्माण किये जायेंगे जो भारत के संसदिय और प्रशासनिक कार्य को गति और दर्जात्मक श्रेणी  प्रदान करेगा.

नया संसद भवन, नई दिल्ली


    परियोजना के तहत पुराने  संसद भवन  के  पहली इमारत के रूप में मौजूदा ढांचे के बगल में भारत की संसद के लिए एक नया त्रिकोणीय भवन बनाया जाएगा। नई संरचना 20,866 वर्ग मीटर  के क्षेत्र में फैली होगी और इसमें 694,270 वर्ग फुट  का एक निर्मित क्षेत्र होगा, प्रत्येक मंजिल में चार मंजिलें और वर्तमान भवन की तुलना में बड़ी बैठने की क्षमता होगी।

    पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए वर्तमान संसद भवन को कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए चुनावी  परिसीमन के आधार (परिसीमन का अर्थ पुराने जनगणना के आधार पर निश्चित की गयी लोकसभा और राज्यसभा की संसद की संख्या ) पर संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की व्यवस्था है. 

भविष्य की जरूरतों को देखते हुए 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर रोक केवल 2026 तक है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति के आगे कोई डेस्क नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या बढ़ जाती है। आवाजाही के लिए सीमित जगह होने के कारण यह एक बड़ा सुरक्षा जोखिम भी है।



नए भवन में लोकसभा सांसदों के लिए लगभग 876 और राज्यसभा सांसदों के लिए करीब 400 आसान क्षमता होंगी। संसद के संयुक्त सत्र में लोकसभा चेंबर में 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे। तथा नए ज़माने के सारे  तकनिकी सुविधा और सुरक्षा मापदण्डोंका इसमें समायोजन किया गया है.


नए सदन की जरुरत क्यों थी 

    पुरने संसद भवन में पानी की आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम जैसी सेवाओं में समय के साथ वृद्धि हुई है, जो मूल रूप से योजनाबद्ध नहीं थे, जिससे इमारत के समग्र सौंदर्यशास्त्र को नष्ट कर दिया गया है। अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि इमारत को वर्तमान अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है। कई नए बिजली के तार लगाए गए हैं जो आग लगने का संभावित खतरा था।

वर्तमान संसद भवन में संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन है। सभी हॉल के ध्वनिकी में बड़े सुधार की आवश्यकता है।


भवन की संरचनात्मक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हैं। मौजूदा संसद भवन तब बना था जब दिल्ली सिस्मिक जोन-2 (भूकंप सम्भाव्य क्षेत्र का प्रकार) में था, फिलहाल यह सिस्मिक जोन-चार में है। जिसके चलते नए विज्ञानं और जानकारी के आधार पर इसमें जरुरी बदलाव करना अनिवार्य हो गया था।  


कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र तथा कार्यक्षेत्रों की बढ़ती मांग के साथ, आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप खराब गुणवत्ता और संकीर्ण कार्यस्थान हो गए।


संसद की मौजूदा इमारत को  देश की पुरातत्व संपत्ति के रूप में बनाए रखा जाएगा और संसद के लिए अधिक कार्यात्मक स्थानों के लिए विकसित किया जाएगा।



कर्तव्य पथ (राजपथ)


3 किमी (1.9 मील) लंबे सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (कर्तव्य पथ के रूप में नया नाम) की इस परियोजना के तहत नहरों, पैदल यात्री अंडरपास, चौड़े फुटपाथ, नए पार्किंग स्थल, अधिक हरे क्षेत्रों, बेंचों के साथ-साथ नए पुलों के निर्माण के साथ नवीनीकरण और पुनर्विकास किया गया इसका उद्घाटन 8 सितंबर 2022 को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।



सामान्य केंद्रीय सचिवालय



राजपथ के दोनों ओर सचिवालय के रूप में चार भूखंडों पर डोनट के आकार की दस इमारतों का एक सेट बनाया जाएगा। सभी भवनों की ऊंचाई 42 मीटर (इंडिया गेट की ऊंचाई) से कम होगी और इनमें 7 मंजिलें होंगी। सभी इमारतों का बाहरी हिस्सा आसपास के लुटियंस भवनों के समान होगा और वे एक-दूसरे से और दिल्ली मेट्रो नेटवर्क से भूमिगत तरीकों और भूमिगत बसों में बिजली के लोगों-मूवरों से जुड़े होंगे। [25]

मौजूदा सचिवालय भवन में 41,000 कर्मचारियों के साथ केवल 22 मंत्रालय हैं, जबकि बाकी नई दिल्ली शहर में फैले हुए हैं। नई सुविधा में ही सभी 51 मंत्रालय होंगे।



उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के लिए नया कार्यालय और निवास

उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक के उत्तर में स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि प्रधानमंत्री के आवास और कार्यालय को साउथ ब्लॉक के दक्षिण में स्थानांतरित किया जाएगा। उन दोनों को सेंट्रल विस्टा के भीतर लाने से यात्रा के समय में कमी आएगी और यातायात प्रतिबंधों में कमी आएगी। [28]

उपराष्ट्रपति का परिक्षेत्र 15 एकड़ की साइट पर होगा, जिसमें अधिकतम 15 मीटर की ऊंचाई पर 32 पांच मंजिला इमारतें होंगी। प्रधान मंत्री का नया कार्यालय और आवास 15 एकड़ की साइट पर होगा, जिसमें विशेष सुरक्षा समूह रखने के लिए एक भवन के साथ अधिकतम 12 मीटर की ऊंचाई पर 10 चार मंजिला इमारतें होंगी। 



इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को मान सिंह रोड पर उसके वर्तमान घर से स्थानांतरित किया जाएगा, और एक सांस्कृतिक स्थान के रूप में इसकी भूमिका का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान भवन को स्थानांतरित करने के लिए जामनगर हाउस के पास 15 एकड़ के भूखंड की पहचान की गई है। नया भवन अनुसंधान, प्रकाशन, कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के केंद्र के रूप में आईजीएनसीए की मौजूदा भूमिका को बनाए रखेगा जबकि अतिरिक्त सुविधाओं को जोड़ने की अनुमति देगा।



परियोजना की लागत 

अंतिम प्रतियोगिता में विभिन्न ठेकेदारों ने  केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी), भारत सरकार को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। 

परियोजना के 2026 में पूरा होने की उम्मीद है। टाटा परियोजनाओं ने सितंबर 2020 में ₹ 861.90 करोड़ की लागत से भवन निर्माण के लिए बोली जीती और जनवरी 2021 में निर्माण शुरू किया।

डिजाइन अनुबंध एचसीपी डिजाइन योजना और प्रबंधन प्राइवेट के नेतृत्व में बिमल पटेल द्वारा जीता गया था। लिमिटेड अक्टूबर 2019 में अहमदाबाद, गुजरात। समग्र परियोजना के विभिन्न घटक हैं, और प्रत्येक घटक के लिए ठेकेदारों को अलग-अलग बोली प्रक्रियाओं द्वारा चुना गया है।



उपरोक्त लेख में दिए गए छाया चित्र भारत सरकार  के अधिकृत  वेबसाइट  https://centralvista.gov.in/ से लिए गए है अधिक विस्तृत जानकारी तथा सेंट्रल विस्टा परियोजना के चित्रीकरण और छायाचित्र तथा प्रगति देखने केलिए इस लिंक पर भेट दे सकते है। 



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